Saturday, August 9, 2014

मेरी कलाकृति : दैनिक 'राजस्थान पत्रिका' का आशीर्वाद





 









पापा का आशीर्वाद : कुछ कविताएं

लाडौ बेटी स्कूल कांनी....



1.
म्हारी लाडौ बेटी!
थूं हुय बहीर
आखर-मारग,
अेक-अेक आखर
अंवेर
अर
बैठाय वांनै अंतस
चिपाय काळजै।

राख चेतौ-
देख मोकळा सपनां
मायतां सारू नीं
फगत अर फगत
खुद सारू।

क्यूंकै
मायतां रौ हरख तौ
चालै थारै हरख लारै
इण कारणै
म्हारी लाडौ
थूं
बध आगीनै
ओपतै मारग
सीख आखर
कमाय जस..।






2.
म्हारी लाडौ बेटी!
थूं सीखै आखर
अंवेरै
किताबी अर जुगू ग्यांन
थारै सूं आस
इत्तीई।

थूं
औ बणै, वौ बणै
नीं जाबक आ सोच
अर
नीं सपनां।

म्हारी लाडौ!
लेयै फैसला
खुद रा खुद
अर
कर वांनै पूरा,
थूं तौ बण
थारै मन मुजब।

हां, मायत-धरम पेटै
म्हे रैयसां
थारै साथै,
थारा लेयोड़ा
सपनां पूरण री आफळ मे
रैयसां सैयोगी।

3.
म्हारी लाडौ बेटी!
म्हारी मनगत
अर थारी मनगत
जे नीं मिळै कदै
तौ कांई फरक पड़ै।

थूं तौ बस बध आगीनै
लेयनै थारी मनगत साथै
अर रोप पग मजबूती सूं
वीं मारग
जिण माथै चावै
थूं चालणौ।

पण हां बेटा,
वीं मारग में सै सूं बेसी
आवै कांम
आखर।

इण कारणै
थूं
सीख आखर
हुय मजबूत।।

4.
मायत मायत हुवै-
वौ आपरी औलाद रै सुख-दुख
सारू करै फिकर।

म्हारी लाडौ बेटी!
इणी फिकर में
जे कदै हुय जावै
म्हारै सूं
थारी आजादी री सींव
रौ अतिक्रमण,
तद थूं बतायजै हाथूंहाथ
म्हारी मनगत है कै
थारी आजादी
साबत रैवणी चाहीजै
हरमेस।

5.
म्हारी लाडौ बेटी!
कदै हुवै थन्नै
म्हारी जरूत,
बतळाय लीजै
लाधसां हरमेस साथै।
पण
म्हारी जरूरतां देखनै
मत मोड़जै
कदैई
थारा सपनां पाछा।

थूं
जे करयौ कदैई अैड़ौ
तौ सांच में
म्हानै
बेसी दुख पूगायसी।

6.
म्हारी लाडौ बेटी!
थूं अंवेर हूंस
संवार
खुद री जिंदगांणी
सीख आखरआखौ।

इण मारग बिचाळै
चावता संज सारू
देय हुकम
हाजर हैं
छोटी-बडी सगळी जरूरत
पूरण सारू
थारै जलम रा देवाळ।

7.
म्हारी लाडौ बेटी!
थूं हरखती जावै
अर
हरखती आवै,
सोवै हरखती
अर
जागै हरखती,
इयांकै
हरमेस रैवै हरखती।
इणसूं बेसी
थारै पेटै
और कीं नीं म्हारा सपनां।

हां, बेटी!
म्हैं जकौ जांणू
वौ बताय सकूं थन्नै कै
इण ‘मरद-राजाळू जुग’ में
थूं रैवणी चावै हरखती
अर
करणी चावै राज
तौ सीख आखर...
मोकळा
आखर....।

आखरां सूं
बापरै-मांजीजै बुध
अर
बुध पांण
करीजै राज।

इण कारणै लाडौ बेटी!
हुय बहीर स्कूल
सीख आखर...
संवार जिंदगांणी।